शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं. कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं, शनिदेव हर एक बुरे काम का फल मनुष्य को ज़रूर देते हैं. जो गलती जानकर की गई उसके लिए भी और जो अंजाने में हुई, दोनों ही गलतियों पर शनिदेव अपनी नजर रखते हैं.

हर शनिवार शनि देवता कि पूजा की जाती है. मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है. यहां जानिए कि हर शनिवार शनिदेव की पूजा कैसे की जाती है.
- शनिदेव की पूजा भी बाकि देवी-देवताओं की पूजा की तरह सामान्य ही होती है।
- प्रात:काल उठकर स्नानादि से शुद्ध हों। फिर लकड़ी के एक पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर या फिर एक सुपारी रखकर उसके दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं।
- शनि देवता के इस प्रतीक स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाकर नीले फूल अर्पित करें।
- इसके बाद इमरती और तेल में तली खानी की चीजों का नैवेद्य लगाएं।
- फिर श्रीफल के साथ दूसरे फल भी चढ़ाएं।
- पंचोपचार पूजन के बाद शनि मंत्र का जाप करें। इसके बाद शनि देव की आरती करें।
क्या न करें:
- शनि भगवान को गरीब व असहाय लोगों का साथी माना जाता है। इसलिए किसी भी भूखे या गरीब व्यक्ति को खाली हाथ ना लौटाएं, इससे शनिदेव खासतौर से प्रसन्न होते हैं।
- इस दिन बाल और नाखून काटना या कटवाना अशुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि शनि जयंती पर बाल और नाखून बनवाने से दोष लगता है। जिसके कारण आर्थिक तंगी और रुकावटें भी आती हैं।
शनिदेव के दर्शन करने जाएं तो मूर्ति के सामने खड़े होकर दर्शन करें। दर्शन करते समय मूर्ति की आंखों में न देखें।